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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में more info पवित्रता बहुत मायने रखती है.
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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